हैलो बच्चों! आज के इस लेख में हम अध्याय Chemical Effects of Electric Current के बारे में देखनें वाले है ।
आप दैनिक जीवन में देखते है, कि जब भी इलेक्ट्रीशियन को घर पर बुलाया जाता है । तब वह सबसे पहले घर में लगे एक मुख्य स्विच को बंद कर देता है। इसके बाद वह आगे काम करता है। यदि वह ऐसा नहीं करता है, तब वह रबड़ के दस्ताने पहन कर रखता है । अपने पाँवों में जुतें पहन कर रखता है।
क्या कभी आपने सोचा है, ऐसा क्यों होता है ?
आपके मस्तिष्क में इस तरह के काफ़ी सवाल आ रहे होंगे जिनका जवाब इस लेख में आपको प्रदान करने का प्रयास किया गया है ।
आगे जानने से पहले यह जान लेते है कि विद्युत क्या होती है ?
विद्युत किसे कहते है ?
किसी चालक तार में विद्युत आवेशों के प्रवाह से उत्पन्न होने वाली उर्जा को ही विद्युत कहते हैं। विद्युत-आवेश के प्रवाह अर्थात विद्युत-आवेशित कणों के किसी निश्चित दिशा मे गति (Movement) करने को ‘विद्युत-धारा’ (Electric Current) कहते हैं ।
दो प्रकार होते है –
1 – AC (प्रत्यावर्ती धारा)
2 – DC (दिष्ट धारा)
कुछ पदार्थ विद्युत का चालन या प्रवाह अपने अंदर से आसानी से होने देते है एवं कुछ आसानी से नहीं होने देते है । इसी आधार पर पदार्थों को दो भागों में बाँटा गया है –
- सुचालक
- हीन चालक
सुचालक :
ऐसे पदार्थ जो अपने से होकर आसानी से विद्युत प्रवाह होने देते है। सुचालक कहलाते है ।
ताँबा, चाँदी, सोना, लोहा आदि सभी धातुएँ विद्युत की सुचालक है ।
Chemical Effects of Electric Current
मुक्त इलेक्ट्रान की उपस्थिति के कारण ।
हीन चालक :
पदार्थ जो आसानी से अपने अंदर से विद्युत धारा प्रवाहित नहीं होने देते । हीन चालक कहलाते है ।
रबड़, सुखी लकड़ी आदि हीन चालक है ।
ऐम्पियर (SI मात्रक)
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