हैलो बच्चो ! आज के इस लेख में हम अध्याय Reproduction in Animals के बारे में देखने वाले है ।
सृष्टि में प्रत्येक जीव अपने समान अन्य जीव का निर्माण करता रहता है ।
जाति की निरंतरता बनाये रखने के लिए जनन आवश्यक है । यदि जनन नहीं होगा तो जाति विशेष का प्रभुत्व समाप्त हो जाएगा । अतः आवश्यक है कि जनन होता रहें ।
जनन विभिन्न प्रकार से होता है या यूँ कहे कि जनन विभिन्न विधियों से होता है ।
जनन की विधियाँ :
विभिन्न विधियों के द्वारा जनन क्रिया होती है – Reproduction in Animals
- लैंगिक जनन
- अलैंगिक जनन
लैंगिक जनन :
इस प्रकार के जनन में दो युग्मकों की आवश्यकता होती है, नर एवं मादा युग्मक ।
ऐसा जनन जिसमें नर एवं मादा युग्मक का संलयन होता है । लैंगिक जनन कहलाता है ।
मानव में भी ऐसा ही जनन पाया जाता है ।
मनुष्य में नर एवं मादा अंग दो अलग – अलग जीवों में पाएँ जाते है ।
सबसे पहले नर जनन अंगों के बारें में देख लेते है ।
नर जनन अंग :
नर जनन अंगों में निम्न को सम्मिलित किया जाता है –
- एक जोड़ी वृषण
- दो शुक्राणु नलिका
- एक शिश्न
वृषण का काम शुक्राणुओं का निर्माण करना होता है । शुक्राणुओं के निर्माण के लिए अपेक्षाकृत कम ताप की आवश्यकता होती है।
इसी कारण से वृषण शरीर से बाहर वृषण कोष में पाएँ जाते है ।
यह शुक्राणुओं का निर्माण करता है । शुक्राणुओं का निर्माण लाखों की संख्या में होता है ।
वृषणों में बने शुक्राणुओं को शुक्राणु नलिका लेकर आती है ।
शुक्राणु नर युग्मक होता है । जो मादा के अंडाणु से मिलता है ।
मादा जनन अंग :
मादा जनन अंगों में निम्न को सम्मिलित किया जाता है –
- एक जोड़ी अंडाशय
- एक जोड़ी अण्ड वाहिनी
- गर्भाशय एक
महत्त्वपूर्ण बिन्दु :
सर्वप्रथम अंडाशय का काम अण्ड कोशिका का निर्माण करना रहता है।
प्रत्येक माह में किसी एक ही अंडाशय के द्वारा एक परिपक्व अण्ड का निर्माण होता है ।
परिपक्व अण्ड का निर्मोचन अण्ड वाहिनी में किया जाता है ।
वहाँ से अण्ड वाहिनी के द्वारा यह अण्ड कोशिका गर्भाशय में आ जाती है ।
अण्ड कोशिका भी शुक्राणु की भाँति एकल कोशिका होती है ।
गर्भाशय वह भाग होता है, जहां पर भ्रूण का विकास होता है ।
निषेचन :
जब अंडाणु शुक्राणु के संपर्क में आता है । तब वह अंडाणु को संलयित कर देता है ।
अंडाणु एवं शुक्राणु का संलयन ही निषेचन कहलाता है ।
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