हैलो बच्चों ! आज के इस लेख में हम अध्याय Stars and The Solar System के बारें में देखने वाले है ।
बच्चों जैसे – जैसे रात होने लगती है । आसमान में विभिन्न प्रकार की आकृतियाँ दिखायी देने लगती है ।
अनेकों तारें दिखायी देने लगते है । कुछ कम चमकीले, कुछ अधिक चमकीले ।
खगोलीय पिण्ड :
रात्रि के समय दिखायी देने वाले तारे, ग्रह, चंद्रमा एवं अन्य पिंड मिलकर खगोलीय पिण्ड कहलाते है ।
चंद्रमा :
प्रत्येक रात्रि में आसमान में दिखायी देती है। जब पूर्ण चंद्रमा दिखायी देता है , तो उसे पूर्णिमा कहते है ।
Stars and The Solar System
पूर्णिमा के बाद चंद्रमा का आकार प्रतिदिन छोटा होता जाता है । पंद्रह दिन बाद चंद्रमा दिखायी नहीं देता है । उस दिन अमावस होती है। इसके बाद रोज़ आकार बढ़ता जाता है, पूर्णिमा तक।
एक पूर्णिमा से दूसरी पूर्णिमा के मध्य 29 दिन व कुछ घंटे का अंतराल होता है ।
हम चंद्रमा के उसी भाग को देख पाते है। जिस हिस्से से सूर्य का परावर्तित प्रकाश हमारी आँखों तक पहुँचता है ।
पृथ्वी का इकलोता प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा है ।
जो पृथ्वी का चक्र लगाता रहता है।
स्वयं पृथ्वी एक ग्रह है, जिसका कार्य है – सूर्य का चक्कर लगाना।
महत्त्वपूर्ण प्रश्न :
चंद्रमा।
29 दिन एवं कुछ घंटे में।
अमावस्या के अगले दिन चंद्रमा का एक छोटा भाग आकाश में दिखायी देता है । इसे ही बाल चंद्र कहते है।
नील आर्मस्ट्राँग ।
15 करोड़ किलोमीटर ।
ऐल्फ़ा सेंटोरी है । जिंसकी दूरी 40,000,000,000,000 किलोमीटर है ।
3,00,000 किलोमीटर प्रति सेकंड । इस प्रकार सूर्य से पृथ्वी की दूरी लगभग 8 प्रकाश मिनट है ।
पहचाने जाने योग्य आकृतियों वाले समूह को तारामंडल कहते है ।